Motivational Story.

शहर में एक जगतसेठ नामक करोड़पति व्यवसायी रहता था जिसका काफी नाम था। उसने अपने व्यवसाय का साम्राज्य खुद के बलबूते खड़ा किया था। एक दिन उसके पास एक काफी पढ़ा लिखा युवक आया और बोला की मुझे आप करोड़ पति कैसे बनते हैं, ये सीखा दो। जगतसेठ ने उसकी बाते ध्यान से सुनी और पुछा की तुम करोड़ पति क्यूँ बनना चाहते हो। इसपर युवक ने कहा की पैसा ही सब कुछ है। इसपर जगत सेठ ने कुछ जबाब नहीं दिया और अपने काम में लग गए। वो युवक सारा दिन सेठ के पीछे पीछे घूमता रहा और उनके काम करने के तरीके को गौर से देखता रहा। सेठ ने युवक को अगले दिन आने के लिए कह उससे विदा ली। अगले दिन सुबह जब युवक सेठ के ऑफिस पंहुचा तो सेठ ने पुछा की पैसा कमाने के लिए तुम क्या कर सकते हो? युवक ने कहा की कुछ भी। इसपर सेठ ने उससे फर्श को साफ़ करने को कहा तो युवक ने कहा की मैं बहुत पढ़ा लिखा हूँ और ये सब काम करना मुझे शोभा नहीं देगा। सेठ ने चुपचाप उसकी बाते सुनी और उसे अपनी पांचवे मंजिल पर स्थित ऑफिस की बालकनी में ले गए और युवक से बालकनी की रेलिंग से लटकने के लिए कहा।
युवक ने तुरंत ऐसा कर दिया पर धीरे धीरे समय बीतने के साथ उसके हाथ दर्द करने लगे और वो ऊपर आने के लिए छटपटाने लगा। सेठ सब कुछ चुपचाप देख रहे थे। युवक का एक हाथ बालकनी की रेलिंग से छूट चूका था और दूसरा छूटता इससे पहले ही सेठ ने उसे पकड़कर वापस बालकनी में चढ़ा लिया। इसके बाद उन्होंने उससे पुछा की नीचे लटकते हुए तुम्हे कैसा लग रहा था। युवक ने बोला की मेरा सारा ध्यान अपने आप को बचाने पर था और कुछ दिमाग में नहीं आए रहा था।
इसपर जगतसेठ ने कहा की जितनी छटपटाहट और बैचेनी तुम्हे अपनी जान बचाने में थी और तुम्हारा पूरा ध्यान अपने हाथों पर था, वैसा ही प्रयत्न और ध्यान तुम्हे सफलता प्राप्त करने के लिए भी करना पड़ेगा। कोई भी काम छोटा या बड़ा नहीं होता,हर काम की शुरुवात छोटे से ही होती है। ज़िंदगी में भी ऐसा ही होता है और हमें सफलता आसानी से नहीं मिलती। ये सुनकर युवक को यथार्थ के दर्शन हुए और वो खूब मेहनत करने लगा और जल्दी ही अमीर बन गया।

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